सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल इन दिनों लगातार गांधी परिवार को निशाने पर लिए हुए हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम बाद तो उनके तेवर खासे कड़े हो चले हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस को यदि बचाना है तो गांधी परिवार को पार्टी से हटाना होगा और किसी अन्य को पार्टी की कमान सौंपनी होगी। सिब्बल के ये तेवर हैरान करने वाले हैं क्योंकि उन्हें संसद की सदस्यता से लेकर केंद्र सरकार में मंत्री की कुर्सी तक सब कुछ गांधी परिवार की कृपा के चलते ही मिला है। वकील भले ही वे काबिल हों, राजनीति में उनका कोई आधार नहीं रहा है। हालांकि 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में सिब्ब्ल ने दिल्ली की चांदनी चौक सीट से जीत दर्ज कराई लेकिन इसके पीछे कांग्रेस का अल्पसंख्यक वोट बैंक का होना था। सिब्बल को मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की दोनों सरकारों में मंत्री पद सोनिया गांधी के चलते मिला। इसके बावजूद उनका एंटी गांधी परिवार रुख अपनाना बहुतों की नजर में पाला बदलने के गेम प्लान का हिस्सा है। दरअसल, सिब्बल का राज्यसभा टर्म इस वर्ष जुलाई में समाप्त होने जा रहा है। वह उत्तर प्रदेश से सांसद हैं जहां उनकी पार्टी के पास मात्र दो विधायक हैं जिसके चलते वे दोबारा यूपी से कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा नहीं जा सकते। बिहार और झारखंड में से भी कांग्रेस को एक-एक राज्यसभा मिल सकती है लेकिन इन दोनों ही राज्यों में राज्यसभा जाने की चाह रखने वाले बहुतेरे नेता हैं जिन्हें इग्नौर कर सिब्बल को राज्यसभा सीट भेजने का खतरा कांग्रेस आलाकमान उठाने की स्थिति में है नहीं। जानकारों की मानें तो इसी के चलते अब सिब्बल किसी अन्य ऐसे दल में अपने लिए जगह तलाश रहे हैं जो उनके राज्यसभा का सुख बरकरार रख सके। यही कारण है कि वह कांग्रेस आलाकमान पर लगातार प्रहार कर रहे हैं ताकि नाराज हो पार्टी नेतृत्व उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दे और वे शहीद का चोल पहन किसी अन्य दल से राज्यसभा सीट पाने का जुगाड़ कर सकें।
राज्यसभा वापसी के लिए बेचैन सिब्बल
