महाराष्ट्र में भाजपा के खिलाफ तीन राजनीतिक दलों ने गठबंधन कर सरकार तो बना ली, लेकिन राज्य की राजनीति में पिछले दिनों देखने को मिली राजनीतिक तिकड़मबाजी का खेल अभी जारी रहेगा। सूत्रों की मानें तो इन तीनों ही दलों में तालमेल ठीक से बैठ नहीं पा रहा है। एनसीपी का पहले ही दिन से जोर सीएम की कुर्सी के रोटेशन पर था। शिवसेना इसके लिए तैयार नहीं हो रही थी। अब भले ही पांच साल तक उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री रहने की बात एनसीपी प्रमुख कर रहे हैं, जानकारों का मानना है कि ढाई साल बाद एक बार फिर से शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को सीएम बनाने के लिए दांव चलेंगे जरूर। भाजपा नेताओं का कहना है कि उद्धव इसके बजाए भाजपा संग वापसी करने का प्रयास करेंगे। दूसरी तरफ राज्य की राजनीति में जोकर बन उभरे अजित पवार भी हाथ पर हाथ धर बैठने वाले नहीं। वे पार्टी के असंतुष्ट विधायकों पर अपनी पैनी नजर रखेंगे। कांग्रेस के भीतर भी शिवसेना संग मिलकर सरकार बनाने को लेकर एक राय नहीं है। खबर है कि पार्टी के कुछ विधायक भाजपा नेतृत्व के संपर्क में लगातार बने हुए हैं। ऐसे में सरकार का स्थिर रहना कठिन नजर आ रहा है। कहा जा सकता है कि महाविकास अघाड़ी का दांव भले ही वर्तमान में भाजपा पर भारी पड़ गया है आने वाले समय में भाजपा नेतृत्व इसका जवाब जरूर देगा।