सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा की पहचान प्रधानमंत्री मोदी के करीबी नौकरशाहों में हुआ करती थी। गुजरात कैडर के शर्मा लंबे समय से मोदी की कोर टीम का हिस्सा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में लेकिन उन्हें कोई नहीं पहचानता था। गत वर्ष यकायक ही वे घर-घर में चर्चा का केंद्र बन गए। उन्हें भाजपा आलाकमान ने पहले तो राज्य विधान परिषद् का सदस्य बना सबको चौंकाया फिर पीएमओ के फुल स्पोर्ट के चलते वे लखनऊ में समांतर सत्ता का केंद्र बन उभरे। योगी आदित्यनाथ खेमा शर्मा की बढ़ती ताकत से खासा व्यथित, संशकित और सतर्क हो गया। कहा जाने लगा कि योगी से नाराज आलाकमान शर्मा को आगे कर आदित्यनाथ पर अंकुश लगाने का मिशन तैयार कर चुका है। शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाने और गृह एवं कार्मिक मंत्रालय सौंपे जाने की खबरंे लखनऊ से लेकर दिल्ली के सत्ता गलियारों में गूंजने लगीं। योगी लेकिन डिप्टी सीएम और गृह मंत्रालय तो दूर उन्हें मंत्री तक बनाने के लिए राजी नहीं हुए। एक बारगी तो माहौल बनने लगा था कि योगी की हठधर्मिता से नाराज पार्टी आलाकमान उन्हें सीएम पद से ही हटाने का मन बना रहा है। हालांकि आदित्यनाथ का हिंदुत्ववादी चेहरा उनकी ढाल बन गया और शर्मा को प्रदेश भाजपा का 17वां उपाध्यक्ष बन संतोष करना पड़ा। शर्मा और योगी के बीच चल रहा शीत युद्ध लेकिन थमा नहीं है। गत दिनों शर्मा ने बड़ी तादात में कैलेंडर छपवा कर योगी के गृह जनपद गोरखपुर में वितरित करा नया विवाद पैदा कर डाला है। इस कैलेंडर में प्रधानमंत्री मोदी और अरविंद शर्मा की ही तस्वीरें है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक भी तस्वीर इसमें नजर नहीं आती है। जानकारों का कहना है कि शर्मा एमएलसी बनने के बाद से ही सोशल मीडिया में जो कुछ भी पोस्ट करते आ रहे हैं उनमें केवल प्रधानमंत्री मोदी का ही जिक्र होता है, योगी को शर्मा पहले ही दिन में इग्नौर करने में जुटे हैं। ऐसे में खबर गर्म है कि राज्य विधानसभा चुनाव बाद यदि भाजपा की दोबारा सरकार बनती है तो उसमें शर्मा का होना तय है। कहा तो यह भी जा रहा है कि गुजरात और उत्तराखण्ड की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी भाजपा नेतृत्व इस बिल्कुल नए चेहरे को सीएम बना सकता है।
कैलेंडर चलते फिर चर्चा में शर्मा
