राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में दो फाड़ के बाद शरद पवार की नई राजनीतिक भूमिका को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि वे भाजपा के साथ जा सकते हैं। लेकिन 82 वर्षीय शरद पवार इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए एनसीपी को फिर से खड़ा करने की मुहिम पर निकल पड़े हैं। पवार अब भतीजे अजित पवार की जगह पोते रोहित पवार पर दांव लगाएंगे। बीते दिनों बीड में हुई एनसीपी (शरद गुट) की पहली स्वाभिमान सभा में इसके साफ संकेत मिले हैं। एनसीपी संस्थापक शरद पवार की बीड में हुई स्वाभिमान सभा में रोहित पवार ही छाए रहे। यहां तक कि एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को भी भाषण देने का मौका नहीं मिला। जनसभा में उपस्थित लोगों की मांग पर जयंत पाटिल की जगह रोहित पवार ने भाषण दिया और जमकर तालियां बटोरी। एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जितेन्द्र आव्हाड ने भी मंच से अपने भाषण में कहा कि बेटा भले ही बाप से दूर हो जाए लेकिन दादा-पोते का संबंध अलग होता है वह उनसे दूर नहीं जा सकता। आव्हाड के इस बयान से साफ हो गया है कि पार्टी में रिक्त हुई उपमुख्यमंत्री अजित पवार की जगह अब रोहित पवार को मिलेगी। एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक राज्य में 30 से 60 वर्ष के मतदाताओं में अजित पवार का क्रेज है जबकि रोहित पवार के जरिए शरद पवार 18 से 35 वर्ष के मतदाताओं को साधेंगे। गौरतलब है कि सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर 1999 में शरद पवार ने जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की स्थापना की थी तब युवा नेतृत्व अजित पवार, जयंत पाटिल, आरआर पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल आदि को लेकर आगे बढ़े थे। इतना ही नहीं, उन्होंने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर कांग्रेस- एनसीपी गठबंधन की सरकार बनने पर इन्हीं युवाओं को मंत्री भी बनाया था। कहा जा रहा है कि एनसीपी में टूट के बाद शरद पवार एक बार फिर उसी फार्मूले पर आगे बढ़ने वाले हैं।
पोते पर दांव लगाएंगे शरद
