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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं सत्तारूढ़ शिवसेना (शिंदे) और भाजपा गठबंधन के नेताओं ने डूबते जहाज से किनारा करना शुरू कर दिया है। ऐसे अधिकांश आयाराम- गयाराम की पहली पसंद राष्ट्रवादी कंग्रेस पार्टी (शरद पवार) है तो कुछेक कांग्रेस का दामन भी थाम रहे हैं। गत् दिनों शरद पवार के विश्वस्तों ने इन आयाराम-गयाराम को पार्टी में शामिल कराए जाने के खिलाफ अपने नेता पवार के घर पहुंच धरना-प्रदर्शन कर दलबदलुओं को टिकट न दिए जाने की मांग पार्टी सुप्रीमो से कर डाली। सूत्रों के मुताबिक विरोध के मूल में शरद पवार के साथ खड़े रहे नेताओं की नाराजगी खुद का टिकट कटने का डर है। पवार ने कुछ दिन हुए कोल्हापुर राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले भाजपा नेता समरजीत सिंह घाटगे और पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल को पार्टी में शामिल करा राज्य के कद्दावर नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बैकफुट पर लाने का काम कर दिखाया जरूर लेकिन इससे उनकी पार्टी के भीतर भी खलबली मच गई है। शरद के पुराने वफादारों को आशंका है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी दलबदलुओं को टिकट दे सकती है। यह आशंका अब बड़ी नाराजगी में बदलने लगी है। पवार के घर पर वफादारों का धरना-प्रदर्शन इसी नाराजगी का परिचायक है। साथ ही इससे यह भी स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन दिनोंदिन कमजोर हो रहा है और आगामी विधानसभा चुनाव बाद यह गठबंधन सत्ता से बाहर होने जा रहा है।

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