[gtranslate]

देश विरोधी कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को पांच साल के लिए बैन कर दिया है। इससे जुड़े 8 अन्य संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। हालांकि पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया गृह मंत्रालय की कार्यवाही से बच गई है। लेकिन बताया जा रहा है कि एसडीपीआई और पीएफआई के गहरे संबंध हैं। ऐसे में चर्चा है कि अब एसडीपीआई चुनाव आयोग की रडार पर है। खबरों के मुताबिक गृह मंत्रालय के एक्शन से एसडीपीआई इसलिए छूट गई क्योंकि यह एक रजिस्टर्ड पार्टी है। हालांकि अगर पार्टी के नेता पीएफआई के साथ मिलकर काम करते हैं या फिर देश में घृणा फैलाने की कोशिश करते हैं, गलत तरीके से फंड इकट्ठा करते हैं तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। गृह मंत्रालय की अधिसूचना में स्पष्ट कर दिया गया है कि भविष्य में संगठन से जुड़े लोगों पर यूएपीए के तहत सख्त कार्रवाई होगी। वहीं नोटिफिकेशन में आठ संगठनों का जिक्र किया गया था लेकिन बैन होने वाले संगठन और भी हो सकते हैं। ऐसे में चर्चा जोरों पर है कि गृह मंत्रालय के इनपुट के आधार पर चुनाव आयोग इस पार्टी को बैन भी कर सकता है। यह पार्टी चुनाव आयोग के रडार पर पहले से ही है क्योंकि 2018-19 और 2019-20 के चंदे की जानकारी एसडीपीआई ने नहीं दी थी। पार्टी का कहना था कि इन दोनों सालों में 20 हजार रुपए से भी कम चंदा मिला है। लेकिन ऑडिटेड अकाउंट में 4 से 5 करोड़ की राशि दिखाई गई थी। वर्ष 2020-21 में पार्टी ने 2.9 करोड़ का चंदा बताया लेकिन रसीद केवल 22 लाख रुपए की दे पाए। वहीं पार्टी ने यह भी घोषित नहीं किया कि चंदा देने वाले लोग कौन हैं?

You may also like

MERA DDDD DDD DD