नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे ज्यादा मौज नौकरशाहों की रही। कारण मोदी का अपने मंत्रियों की बनिस्पत नौकरशाहों पर भरोसा करना था। बड़ी चर्चा सुनने को मिलती थी कि पीएम सीधे मंत्रालयों के सचिवों से संपर्क रखते हैं। यहां तक की विभागों के कैबिनेट मंत्री भी कई बार बाईपास कर दिए जाते हैं। जाहिर है ऐसे में विभागों के सचिवों की बन आई। वे अपने मंत्री के निर्देश भी हवा में उड़ाने लगे थे। अब लेकिन माहौल बदल गया है। पिछले दिनों नए-नए सचिव बने एक नौकरशाह को पीएमओ ने चेताया कि वे पत्रकारों से ज्यादा बातचीत ना किया करें। कुछ ऐसा ही एक अन्य सचिव के साथ भी हुआ। उन्हें एक न्यूज चैनल में सरकार की नीतियों के बाबत बोलने के लिए बुलाया गया। जब सचिव महोदय ने यह कहा कि वे सरकार की उपलब्धियों पर बोलने जा रहे हैं तो उन्हें उत्तर मिला कि यह उनका काम नहीं हैं। विभाग के मंत्री का यह दायित्व है। जानकारों की माने तो इनदिनों केंद्रीय खुफिया एजेंसियां सरकार के वरिष्ठ नौकरशाहों पर कड़ी नजर भी रखने लगी हैं।
सांसत में नौकरशाह
