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मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव का भले ही अभी एलान नहीं हुआ है लेकिन टिकटों को लेकर भाजपा नेता अभी से बागी तेवर दिखाने लग गए हैं। कुछ दिनों पहले नारायण त्रिपाठी एवं दीपक जोशी के विद्रोह के बाद अब कद्दावर ब्राह्मण नेता अनूप मिश्रा के बागी तेवर सामने आए हैं। वे अपने जीवन का अंतिम चुनाव दक्षिण विधानसभा से लड़ना चाहते हैं जिससे इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि यदि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे बागी तेवर दिखा सकते हैं। वर्ष 1990 के अपने वायदे से पहले विधानसभा चुनाव में उस समय के कद्दावर नेता बालेंदु शुक्ला को हराकर चर्चा में आए अनूप मिश्रा का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा। 1993 में उस समय की पश्चिम व वर्तमान की दक्षिण विधानसभा से भगवान सिंह से हारने के बाद 1998 के अगले विधानसभा चुनाव में भगवान सिंह को चुनाव में हराकर उन्होंने अपना राजनीतिक बदला लिया। 2003 में रमेश अग्रवाल को हराकर वे प्रदेश सरकार में मंत्री बने। 2008 में उन्होंने मुन्नालाल गोयल को हराया। इसके बाद 2013 में लाखन सिंह से भितरवार विधानसभा का चुनाव वे हारे तो उनके राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा हो गया, लेकिन 2014 में मुरैना से सांसद बनकर फिर उन्होंने जोरदार वापसी की, हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर उन्हें मुंह की खानी पड़ी और वे चुनाव हार गए। यही वजह है कि वे अब भितरवार की बजाय दक्षिण विधानसभा पर फोकस कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें दक्षिण विधानसभा से तैयारी करने की हरी झंडी भी दे दी है। पिछले दिनों महाराज बाड़े पर आयोजित हुई आभार सभा में जिस तरह तीन अन्य दावेदार नारायण सिंह कुशवाह, समीक्षा गुप्ता एवं सतीश बोहरे के समक्ष सिंधिया ने अनूप मिश्रा का बार-बार नाम लिया, उससे साफ है कि दक्षिण से वे अनूप मिश्रा का नाम आगे बढ़ा चुके हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि दक्षिण से अगर अनूप मिश्रा का टिकट काटा गया तो वे बागी तेवर दिखा सकते हैं। क्योंकि 67 वर्षीय अनूप आगामी विधानसभा चुनाव को अपने जिंदगी की आखिरी राजनीतिक बाजी मान रहे हैं। वे बार-बार सार्वजनिक रूप से दक्षिण विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं और उन्होंने क्षेत्र में पुरजोर इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।

 

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