शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत अपनी स्पष्टवादिता के लिए पहचाने जाते हैं। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादक राउत ने बतौर पार्टी प्रवक्ता अपनी अलग पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाने का काम किया है। गत् सप्ताह केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी एवं सीबीआई द्वारा महाराष्ट्र के कुछ चुनिंदा व्यापारिक प्रतिष्ठानों में छापेमारी के बाद राउत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला कुछ ऐसी बातें कह डाली जिसने महाराष्ट्र भाजपा के साथ-साथ दिल्ली और हरियाणा में भी भारी बेचैनी पैदा कर डाली है। दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसियों की छापेमारी का कथित तौर पर टारगेट ऐसे बिजनेसमैन बताए जा रहे हैं जिनके शिवसेना से प्रगाढ़ संबंध हैं। संजय राउत ने इस छापेमारी को लेकर ही अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। अपने संबोधन में वे पहले तो केंद्र सरकार और भाजपा पर जमकर बरसे। फिर उन्होंने एक के बाद एक ऐसे नाम गिना डाले जो बकौल उनके भाजपा के लिए धन उगाही और मनी लाउंडिं्रग का काम करते हैं। सबसे पहले राउत ने भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा नेता किरीट सोमानी को अपने निशाने पर लिया। दोनों पर राउत ने 25 हजार करोड़ के घोटाले, अवैध वसूली और मनी लाउंड्रिंग के आरोप लगाए। इसके बाद लेकिन जो नाम उन्होंने लिए उन्हें सार्वजनिक तौर पर जाना नहीं जाता है। राउत ने हरियाणा में दूध का व्यापार करने वाले एक व्यक्ति केएस नरवर का नाम लेते हुए सवाल कर डाला कि केंद्रीय जांच एजेंसियां इस दूध वाले की जांच क्यों नहीं करती कि कैसे पांच सालों के भीतर यह दूधवाला सात हजार करोड़ का मालिक बन बैठा है? राउत इतने पर ही नहीं रूके। उन्होंने किसी जितेंद्र नवलानी का नाम लेकर पूछा कि यह व्यक्ति देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते बिल्डरों से अवैध वसूली किसके लिए करता था? उन्होंने अमोल काले, विजय धमगाले और लडानी जैसे नाम भी लिए और दावा कर डाला कि ये सब नाम भाजपा के लिए मनी लाउंड्रिंग का काम करते हैं। राउत के इस बयान के बाद इन नामों को लेकर नाना प्रकार की चर्चाओं का बाजार मुंबई, दिल्ली और गुरुग्राम में गर्म हो चला है।
राउत का वार, गर्म हुआ चर्चाओं का बाजार
