रमन सिंह कभी भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। 2003 में उनके नेतृत्व में भाजपा की सरकार छत्तीसगढ़ में बनी थी और 2015 तक लगातार बनी रही। 15 बरस तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह लेकिन वर्तमान भाजपा नेतृत्व की ‘गुड बुक्स’ में नहीं हैं। 2018 में राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद से ही सिंह का कद कम होता चला गया है। हालांकि 70 वर्षीय सिंह वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जरूर है लेकिन अपने गृह राज्य छत्तीसगढ़ में उन्हें साइड लाइन कर पार्टी नए नेतृत्व को आगे बढ़ा रही है। गत् दिनों रमन सिंह ने जब छत्तीसगढ़ का राज्य व्यापी दौरा करने का कार्यक्रम बनाया तो भाजपा आलाकमान ने उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं दी। सूत्रों की मानें तो रमन सिंह इस चलते खासे आहत और नाराज हैं। इससे पहले भी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र अभिषेक को टिकट नहीं दिया था। तभी से कयास लगाए जाने लगे थे कि रमन सिंह का राजनीतिक भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है। जानकारों का कहना है कि रमन सिंह की नाराजगी का एक बड़ा कारण राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ऐसी ही यात्रा करने से पार्टी ने नहीं रोका है। इतना ही नहीं उनके बेटे दुष्यंत को लोकसभा का टिकट भी पार्टी ने 2019 में देने में देर नहीं लगाई थी। खबर यह भी गर्म है कि 2023 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में पार्टी नेतृत्व का इरादा रमन सिंह को सीएम चेहरा नहीं बनाने का है। देखना दिलचस्प होगा कि ऐसे में वे पार्टी में बने रहते हैं या फिर अपने लिए कोई अलग रास्ता तलाशते हैं।
हाशिए पर रमन सिंह
