अगले वर्ष भाजपा शासित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन दोनों ही राज्यों में नवंबर, 2018 में हुए विधानसभा चुनाव हार भाजपा सत्ता से बाहर हो गई थी। मध्य प्रदेश में लेकिन उसने 2020 में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को गिराने में सफलता पाई और शिवराज सिंह के नेतृत्व में खुद की सरकार बना ली। शिवराज एक समय में भाजपा के सबसे सफल मुख्यमंत्री बन उभरे थे और 2013 में भाजपा के संभावित प्रधानमंत्री चेहरों में उनका नाम भी शामिल था हालांकि बाजी गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी मार ले गए। तब बड़ी चर्चा हुआ करती थी कि शिवराज और मोदी के मध्य रिश्ते तनातनी के हैं। वक्त के साथ सब कुछ बदल गया। शिवराज अब पूरी तरह मोदी की शरण में जा चुके हैं। कुछ ऐसा ही उन दिनों छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह को लेकर भी कहा-सुना जाता था। पंद्रह बरस तक लगातार छत्तीसगढ़ के सीएम रहे रमन सिंह भी प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में शामिल रहे थे। मोदी-शाह युग में शिवराज सिंह के नेतृत्व में ही भाजपा मध्य प्रदेश के चुनावी समर में उतरने की तैयारी कर रही है। चर्चा जोरों पर है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी भाजपा सीएम फेस घोषित कर चुनाव लड़ेगी और यह फेस शिवराज सिंह का ही होगा। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ को लेकर भाजपा आलाकमान अभी तक संशय में है। जानकारों की मानें तो यहां पार्टी बगैर कोई सीएम चेहरा घोषित किए चुनाव मैदान में उतर सकती है। बताया जा रहा है कि खैरगढ़ उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद रमन सिंह की कार्यशैली को लेकर सवाल प्रदेश भाजपा के नेता उठाने लगे है। हालांकि प्रदेश संगठन में चलती रमन सिंह की ही है लेकिन उनकी कार्यशैली से नाराज कुछ बड़े नेताओं ने पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश की प्रभारी डी ़ पुन्देश्वरीदेवी संग मुलाकात कर रमन सिंह को सीएम चेहरा न बनाए जाने की बात कह डाली है।
संकट में रमन सिंह, शिवराज की बल्ले-बल्ले
