दिल्ली के सत्ता गलियारों में बड़ी चर्चा है कि भाजपा आलकमान की नाराजगी के चलते कुछ समय पूर्व तक मोदी-शाह के करीबी कहे जाने वाले राम माधव इन दिनों हाशिए में डाल दिए गए हैं। इन चर्चाओं ने प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका के टेक्सास प्रांत में हुई ‘हाउडी मोदी’ रैली के दौरान जोर पकड़ा था। इस रैली में तब राम माधव की अनुपस्थिति ने सभी को चैंकाया था। राम माधव उस ग्यारह सदस्यीय भाजपा डेलिगेशन का भी हिस्सा नहीं थे जो अगस्त माह में चीन के दौरे पर गया था। माधव चीन मामलों के अच्छे जानकार हैं। उनकी किताब ‘अनईजी नेबर्स-इंडिया एंड चायना आॅफ्टर फिप्टी इयर्स आॅफ वार’ को महत्वपूर्ण पुस्तकों में गिना जाता है। सितंबर में भाजपा उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे की मगोलिया यात्रा के दौरान भी माधव गायब थे। 2014 में प्रधानमंत्री की न्यूयाॅर्क के मेडिसन स्क्वायर में हुई रैली के कत्र्ताधर्ता वे ही थे। पूर्वोंत्तर राज्यों में भाजपा की सफलता का श्रेय भी माधव को दिया जाता है। अब लेकिन ऐसा नहीं है। न तो राम माधव पीएम के विदेशी दौरे के दौरान सक्रिय हैं, न ही अब वे पूर्वोत्तर के राज्यों का काम देख रहे हैं। जम्मू-कश्मीर भी उनके हाथों से निकल चुका है। पार्टी में इस बात की बड़ी चर्चा है कि राम माधव का विदेशी मामलों में हस्तक्षेप सरकार के दो मंत्रियों की उनसे नाराजगी का कारण बना। साथ ही अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण करने के लिए विख्यात राम माधव की कार्यशैली पार्टी प्रमुख अमित शाह को भी नागवार गुजरी। नतीजा उनका हाशिए में जाना रहा है। अब खबर है कि जल्द ही संघ के इस प्रचारक को पार्टी वापस संघ भेज सकती है।
हाशिए पर राम माधव
