राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अघोषित रूप से भाजपा के साथ घुल-मिल चुके सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर इन दिनों बिहार में सक्रिय हैं। वह बिहार सरकार पर जातिवार जनगणना कराने का दबाव रैलियों के माध्यम से बनाते हुए अति पिछड़ों में पैठ बनाने की कोशिश में हैं। राजभर की बिहार में सक्रियता के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि उनका बिहार अभियान अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को मजबूत करने के लिए है। ठेठ पुरबिया और खड़ी बोली व भोजपुरी की खिचड़ी से लोगों को संबोधित करने के कारण ओम प्रकाश राजभर को उनका समाज पूरे मनोयोग से सुनता है। यूपी में पूर्वांचल में जमीन तलाशने के बाद राजभर ने अपना रुख अचानक पूर्वांचल से सटे बिहार की तरफ कर दिया है। पिछले करीब एक महीने से दो-चार दिनों के अंतराल पर बिहार में एक रैली कर रहे हैं। इन रैलियों के माध्यम से वह सीधे पिछड़ा समाज से आने वाले वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को घेर रहे हैं। राजभर अपनी रैलियों के माध्यम से दोनों नेताओं को जातिवार जनगणना कराने की याद दिला रहे हैं। राजभर बिहार के मंचों से सीधे-सीधे यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि अब तक दोनों नेता जातिवार जनगणना में भाजपा को आड़े हाथों लेते थे। अब बिहार की सत्ता पर दोनों स्वतंत्र रूप से काबिज हैं, लिहाजा बिहार में जातिवार जनगणना कराकर पिछड़ा वर्ग की सालों से चली आ रही मांग को पूरा करें। यहां तक आरोप मढ़ रहे हैं कि दोनों नेता सिर्फ सत्ता के लिए पिछड़ा वर्ग की बात करते हैं, सत्ता में आने पर उन्हें भूल जाते हैं। बिहार में अब तक 11 रैलियां कर चुके राजभर की रैलियों का कार्यक्रम लंबा है। 27 अक्टूबर को सुभासपा के 20वें स्थापना दिवस पर उन्होंने बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में सावधान महारैली का आह्नान किया है। गांधी मैदान जैसे विशाल मैदान में भीड़ जुटाने का साहस दिखा राजभर ने बड़ा दांव खेला है। उनकी इस रैली पर बिहार की सत्ताधारी महागठबंधन के साथ ही भाजपा की भी नजर होगी। हालांकि ओमप्रकाश राजभर का कहना है कि बिहार में उनकी बिरादरी के साथ ही अति पिछड़ा समाज की बड़ी आबादी है। वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार में भी उनकी पार्टी से प्रत्याशी चुनाव मैदान में होंगे।
भाजपा को मजबूती देने में जुटे राजभर
