राष्ट्रपति चुनाव से पहले यूपी में एक बार फिर से सियासत तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के गठबंधन सहयोगी ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल यादव पार्टी से नाराज चल रहे हैं। इस बीच चर्चा है कि शिवपाल गठबंधन से अलग होने का फैसला कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि उनके अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी सपा गठबंधन से अलग हो सकते हैं। गठबंधन से अलग होने की मुख्य वजह अखिलेश यादव ने विपक्ष के राष्ट्रपति पद के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ मीटिंग में न बुलाना और दूसरी तरफ एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करना है। दरअसल एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू समर्थन मांगने के लिए लखनऊ गई थी। जिनका लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया था। जिसके बाद मुर्मू सीधे लोकभवन पहुंची और बीजेपी विधायकों-सासंदों के साथ मीटिंग कर अपने पक्ष में मतदान करने के लिए कहा। वहीं रात्रि भोज के आयोजन राजभर और शिवपाल यादव भी पहुंचे थे। जिसमें दोनों ने ही मुर्मू का समर्थन किया और कहा कि हमारी पार्टी आपका समर्थन करती उसके बाद ओमप्रकाश राजभर ने मीडिया से बात करते हुए कहा की हमने अपना समर्थन मुर्मू जी को देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि शिवपाल यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ‘हमें समाजवादी पार्टी की तरफ से कभी भी मीटिंग में नहीं बुलाया गया, इससे पहले यशवंत सिन्हा यहां थे। लेकिन नहीं बुलाया गया। राजनीतिक अपरिपक्वता की कमी होने के कारण ये सब होता चला जा रहा है। और पार्टी कमजोर हो रही है। लोग पार्टी छोड़ रहे हैं। मैंने बहुत पहले कहा था जहां हमें बुलाया जाएगा, जो हमसे वोट मांगेगा हम उसे वोट देंगे। इससे पहले भी राष्ट्रपति के चुनाव हुए थे। न तो हमें समाजवादी पार्टी ने बुलाया और न ही वोट मांगा। उस समय रामनाथ कोविंद जी ने वोट मांगा तो हमने दिया। जब मैंने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीता तो हमसे भी राय लेनी चाहिए।’