कभी संपूर्ण देश में राज करने वाली कांग्रेस इन दिनों पूरी तरह दिशाहीनता और बड़े नेताओं की आपसी कलह का शिकार हो लकवाग्रस्त हो चुकी है। राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष पद त्यागे दो बरस होने जा रहे हैं लेकिन अभी तक उनका उत्तराधिकारी पार्टी तय नहीं कर पाई है। स्वास्थ्य कारणों के चलते सोनिया गांधी अर्सा पहले ही पार्टी नेताओं से कह चुकी थीं कि अब वे सक्रिय राजनीति से अलग होना चाहती हैं। राहुल के त्याग पत्र के बाद पार्टी नेताओं ने अगले अध्यक्ष का चुनाव होने तक सोनिया गांधी को मान-मनौव्वल कर अंतरिम अध्यक्ष बनने के राजी कर लिया था। दो बरस बाद भी पार्टी लेकिन अपना नया अध्यक्ष चुन पाने में विफल रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी अभी भी दोबारा पार्टी अध्यक्ष न बनने की अपनी बात पर अडिग हैं। ऐसे में एक बार फिर से प्रियंका गांधी को केंद्रीय राजनीति में लाए जाने की मांग पार्टी भीतर से उठने लगी है। सूत्रों का दावा है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस में जान फूंकने की कवायद का आशानुकूल नतीजा न मिलने से निराश प्रियंका स्वयं भी राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह तलशने लगी हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि प्रियंका गांधी को कार्यवाहक अध्यक्ष अथवा सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार की जिम्मेदारी दे दी जाए। हालांकि राहुल गांधी के कई करीबी नेता प्रियंका को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाने के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे नेताओं को आशंका है कि अपनी आक्रमक कार्यशैली के लिए प्रख्यात प्रियंका का कार्यवाहक अध्यक्ष बनना उनकी राजनीति पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
फिर फोकस पर प्रियंका गांधी
