राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भविष्यवक्ता भी अच्छे हो सकते हैं। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि उन्हें भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभाषा हो जाता है या फिर इसे यूं भी समझ सकते हैं कि हरेक राजनीतिक दल के कभी न कभी सलाहकार रहे पीके को हर दल की भीतरी बातें पता रहती हैं। खबर जोरों पर है कि पीके को छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले का पूर्वानुमान हो चला था। ऐसा इसलिए क्योंकि पीके ने पश्चिम बंगाल में भाजपा की करारी हार का दावा करते हुए कहा है कि भाजपा सौ सीटों का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि यदि कहीं अर्द्धसैनिक बलों पर हमला होता है तो उस स्थिति में भाजपा की सीटें बढ़ सकती हैं। अजब इत्तेफाक है, तीसरे चरण के मतदान से पहले छत्तीसगढ़ में अर्द्धसैनिक बलों पर बड़ा नक्सली हमला होता है जिसमें 22 जवान शहीद हो गए। भाजपा की सीटें इस हमले के बाद कितनी बढ़ती हैं यह तो 2 मई के दिन पता चलेगा, हां पीके के भविष्यवक्ता होने को लेकर नाना प्रकार की बातें कही-सुनी जाने लगी हैं। चूंकि 2014 के आमचुनाव के वक्त पीके भाजपा के रणनीतिकार थे इसलिए यह भी दबे-छिपे शब्दों में सुनने को मिल रहा है कि क्या पीके की भाजपा की आंतरिक जानकारियों तक अभी भी पहुंच है? या फिर क्या पीके समझते हैं कि चुनाव जीतने के लिए राष्ट्रवाद को हथियार बनाया जा सकता है? सच्चाई चाहे जो भी हो, पीके की दुकान अभी बंद होने वाली नहीं।
पीके की भविष्वाणी और नक्सल हमला
