मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान का असर कांग्रेस शासित राजस्थान में भी नजर आने लगा है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थकों ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग एक बार फिर से उठानी शुरू कर दी है। कांग्रेस के एक बड़े नेता का मानना है कि सचिन भी सिंधिया के पदचिन्हों में चल सकते हैं। ऐसे में डैमेज कंट्रोल के लिए कांग्रेस आलाकमान ने सीएम गहलोत को स्पष्ट निर्देश दे डाले हैं कि पायलट को प्रदेश सरकार में हाशिए पर न डाला जाए। दरअसल गहलोत और पायलट के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है।
गहलोत पर पायलट समर्थकों का आरोप है कि मुख्यमंत्री के निर्देश के चलते राज्य की नौकरशाही पायलट के आदेशों को तवज्जो नहीं देती। राज्य सरकार अभी तक लगभग 25 करोड़ रूपए विज्ञापनों पर खर्च कर चुकी है। इन विज्ञापनों में केवल मुख्यमंत्री की तस्वीर लगाई जाती है जिससे पायलट समर्थक खासे आक्रोशित हैं। अब लेकिन खबर है कि सिंधिया एपिसोड के बाद सचिन पायलट के दिन बहुरे हैं। उन्हें बगावत के रास्ते चलने से रोकने का प्रयास शुरू हो चुका है। सूत्रों का दावा है कि राज्य सूचना विभाग को सीएम कार्यालय ने सरकारी विज्ञापनों में पायलट की तस्वीर भी लगाने के निर्देश दे डाले हैं। साथ ही नौकरशाहों को पायलट संग सहयोग करने के भी मौखिक आदेश दे दिए गए हैं।