महाराष्ट्र में भले ही शिवसेना के नेतृत्व वाली गैर भाजपा सरकार बनने का जश्न पूरा विपक्ष मना रहा है, छद्म धर्मनिरपेक्षता का भूत अभी तक विपक्षी दलों के नेताओं पर से उतरा नहीं है। उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह से इसी भूत के चलते सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, मनमोहन सिंह, अरविंद केजरीवाल आदि बड़े नेताओं ने जाने से परहेज किया। इसके ठीक उलट जब जम्मू-कश्मीर में अपनी विचारधारा से ठीक विपरीत पीडीपी संग भाजपा ने सरकार बनाई थी तब प्रधानमंत्री मोदी और भजापा अध्यक्ष अमित शाह पूरे दमखम के साथ महबूबा मुफ्ती संग खड़े नजर आए थे। वैंकेया नायडू को इस शपथ ग्रहण समारोह में विशेष रूप से भेजा गया था। उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे ने व्यक्तिगत रूप से मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को समारोह में शामिल होने का न्यौता दिया था, लेकिन दोनों ही इस डर के चलते वहां नहीं पहुंचे कि कहीं शिवसेना से नजदीकी अल्पसंख्यक वोटर को नाराज न कर दे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी दलों के बड़े नेताओं की अनुपस्थिति से एक गलत संदेश यह गया है कि सरकार भले ही इन कथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने हिन्दुत्ववादी शिवसेना संग बना ली है, कहीं न कहीं उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय की नाराजगी का भय सता रहा है।
कन्फ्यूज्ड हैं विपक्षी नेता
