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झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार बीते लंबे अर्से से विवादों का केंद्र बनी हुई है। खांटी फिल्मी अंदाज में यहां सियासी घमासान भाजपा और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के मध्य चल रहा है जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसियां, राज्यपाल और राज्य के नौकरशाह सहयोगी भूमिका तो सीएम हेमंत सोरेन और भाजपा मुख्य किरदार में नजर आ रही हैं। जून महीने में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने राज्य की खनन सचिव पूजा सिंघल के यहां पहले छापेमारी करी फिर उन्हें मनी लॉन्ड्रिग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद अगस्त माह में सोरेन के करीबी कहे जाने वाले व्यवसायी प्रेम प्रकाश और पंकज मिश्रा जेल भेजे गए। सोरेन ने इस सब को उनकी सरकार अस्थिर करने की साजिश का हिस्सा बताया तो अगस्त अंत में चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की विधायकी को लेकर एक रिपोर्ट राज्यपाल के पास भेज दी। इस रिपोर्ट को हालांकि सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन मीडिया ने सूत्रों के हवाले से खबरें छापी कि इसके आधार पर सोरेन विधायक पद के अयोग्य घोषित किए जाएंगे और उनकी सरकार गिर जाएगी। राज्यपाल लेकिन इस रिपोर्ट को दबाकर बैठ गए हैं। वे ऐसे संकेत लगातार दे रहे हैं जिनसे सोरेन के खिलाफ किसी बड़ी कार्यवाही का इशारा मिलता है। इस बीच सोरेन ने अपनी सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस के तीन विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप भाजपा पर लगा विधानसभा का विशेष सत्र बुला अपनी सरकार का बहुमत साबित कर यह संदेश दे दिया कि भले ही उनकी विधायकी चली जाए, राज्य में सरकार उनके ही दल की बनी रहेगी। यह राजनीतिक ड्रामेबाजी अब अपने चरम पर है। सोरेन को ईडी जांच के लिए सम्मन भेज रही है लेकिन वे जांच में शामिल होने के बजाए ताबड़तोड़ दौरे कर जनता के मध्य जा सहानूभूति बटोरने में जुट गए हैं। खबर गर्म है कि ईडी अब कभी भी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। खबर यह भी जोरों पर है कि हेमंत सोरेन ने अपना ‘प्लान बी’ भी तैयार कर लिया है, की यदि वे विधायक पद से अयोग्य ठहराए जाते हैं अथवा भ्रष्टाचार के आरोप चलते केंद्रीय एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए जाते हैं तो भी झारखण्ड में उनकी सत्ता बरकरार रहेगी।

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