लंबे अर्से से हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर को हटाए जाने की मांग कर रहे पूर्व सीएम भुपिन्दर सिंह हुड्डा को उम्मीद थी कि उनकी 19 अगस्त की रैली से पहले ही कांग्रेस आलाकमान दबाव में आकर हरियाणा की कमान उन्हें सौंप देगा। 15 अगस्त के दिन कांग्रेस मुख्यालय में हुड्डा की सोनिया गांधी संग बैठक के बाद हुड्डा समर्थक खासे उत्साहित हो चले थे। इस बीच लगातार अफवाहों का दौर चला। अशोक तंवर के स्थान पर दीपेंदर हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष और सीनियर हुड्डा को इलेक्शन कमेटी का प्रमुख बनाए जाने की बातें चली। लेकिन हुड्डा के हाथ कुछ आया नहीं। बड़ी रैली तो उन्होंने रोहतक में जरूर की, लेकिन कांग्रेस छोड़ने की घोषणा करने का साहस न कर सके। कारण उन्हें डर है कि कांग्रेस छोड़ यदि अलग दल वे बनाते हैं तो जाट के सिवा उन्हें अन्य परपरांगत कांग्रेस वोटर का सपोर्ट नहीं मिलेगा। भाजपा भी हुड्डा संग किसी प्रकार के गठजोड़ के लिए खास उत्साहित है नहीं। ऐसे में मात्र इशारेबाजी का सहारा ले कांग्रेस आलाकमान को धमकाने के सिवा हुड्डा इस रैली में कुछ खास कह न सके। नतीजा उनके खास समर्थक भी खासे निराश बताए जा रहे हैं।
न घर के, न घाट के
