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फिर जायेगी नीतीश की ‘अंतरात्मा’

बिहार की राजनीति में एक बार फिर महागठबंधन सरकार को लेकर हलचल तेज हो गई है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत लालू परिवार जमीन के बदले नौकरी घोटाले के मामले में जांच का सामना कर रहा है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी ‘अंतरात्मा’ की आवाज सुनेंगे। इससे पहले वर्ष 2017 में तेजस्वी पर जब भारतीय रेलवे कैटरिंग घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे तो नीतीश ने अंतरात्मा की आवाज सुनते हुए लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से गठबंधन तोड़ भाजपा के साथ दोबारा सरकार बनाई थी। इसका दूसरा कारण यह कि मौजूदा समय में नीतीश पिछले लगभग दो-तीन महीनों से भारी दबाव में हैं। जब से आरजेडी नेताओं ने राज्य में सत्ता का हस्तांतरण कर तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग शुरू की है तब से आरजेडी नेता बीते साल राज्य में महागठबंधन सरकार बनने पर नीतीश और राजद के बीच हुई डील का हवाला दे रहे हैं। जिसके तहत दावा किया जा रहा था कि नीतीश ने 2023 की शुरुआत तक तेजस्वी को सत्ता सौंपने का वादा किया था। लेकिन नीतीश ने कुछ समय पहले ही घोषणा की थी कि तेजस्वी राज्य में 2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व करेंगे। जिससे स्पष्ट संकेत मिल गए कि वह फिलहाल तेजस्वी को सत्ता सौंपने के मूड में नहीं हैं। दूसरी तरफ लालू परिवार के खिलाफ हाल के दिनों में भ्रष्टाचार के आरोप और जांच एजेंसियों की तेजी से भी नीतीश ने राहत की सांस ली है। क्योंकि आरजेडी की तरफ से सत्ता हस्तांतरण और तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की मांगों पर भी फिलहाल लगाम लग गई है, तो वहीं नीतीश ने लालू परिवार के खिलाफ चल रही जांच से खुद को अलग कर लिया है। जानकारों का मानना है कि लालू परिवार के खिलाफ चल रही घोटालों की जांच ने नीतीश के लिए आरजेडी के साथ गठबंधन तोड़ने के लिए जमीन तैयार कर दी है। क्योंकि नीतीश हमेशा दावा करते हैं कि वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कभी समझौता नहीं करेंगे।

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