केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी माने जाते हैं। उत्तर प्रदेश में मंत्री रहते निशंक ने अपनी कार्यशैली के चलते एक अलग पहचान बनाई थी। पत्रकार, कवि, साहित्यकार निशंक कई पुस्तकों के रचयिता भी हैं।
उत्तराखण्ड के सीएम पद से 2011 में हटाए गए निशंक नौ साल तक राजनीतिक वनवास में रहे लेकिन उनकी ऊर्जा में कमी नहीं आने पाई। मोदी के दूसरे कार्यकाल में बतौर एचआरडी मंत्री टीम मोदी में शामिल हो निशंक ने सभी को चौंका दिया था।
नौकरशाही में मजबूत पकड़ के लिए मशहूर निशंक इन दिनों लेकिन खासे परेशान बताए जा रहे हैं। कारण है कि दिल्ली की नौकरशाही पर उनका जादू नहीं चलना।
खबर है कि तमाम प्रयासों के बाद भी निशंक अपने विश्वस्त सहयोगी अजय बिष्ट को बतौर ओएसडी अपने स्टाफ में नहीं ले पाए हैं। अजय बिष्ट को निशंक का सबसे करीबी माना जाता है।
अपने शालीन व्यवहार और हार्ड वर्किंग कार्यशैली के चलते बिष्ट खासे लोकप्रिय भी हैं। इन तमाम खूबियों के बाद भी प्रधानमंत्री कार्यलय ने बिष्ट की तैनाती को मंजूरी नहीं दी है।
इस बीच केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बढ़ते जा रहे छात्र असंतोष ने भी निशंक की जान सांसत में डाल दी है। जानकारों की माने तो निशंक केंद्रीय नौकरशाही के कामकाज से खासे खिन्न हैं। उनकी खिन्नता का एक बड़ा कारण अजय बिष्ट की मंत्रालय में तैनाती न हो पाना बताया जा रहा है।