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उत्तराखण्ड कांग्रेस का पुनर्गठन खेमों में बंटी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को खास रास आता नजर नहीं आ रहा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो हरेक खेमे को पुचकारने की कवायद किसी एक को भी संतुष्ट कर पाने में विफल रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के समर्थकों में भारी आक्रोश रावत के घोर विरोधी नेता रंजीत रावत को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से है। कभी रावत के खासे करीबी रहे रंजीत ने पिछले दिनों बवंडर पैदा कर डाला था। उन्होंने राज्य की सल्ट विधानसभा के उपचुनाव दौरान हरीश रावत पर बजरिए वीडियो नाना प्रकार की बयानबाजियां तो की हैं, पार्टी प्रत्याशी गंगा पंचोली के पक्ष में चुनाव प्रचार न करके खुली अनुशासनहीनता का परिचय दिया। इसके बावजूद प्रीतम सिंह खेमे के दबाव में आकर आलाकमान ने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बना हरीश रावत खेमे को खासा नाराज कर डाला। इतना ही नहीं रावत की खुली मुखालफत करने वाले आयेंद्र शर्मा को पार्टी कोषाध्यक्ष बना, नए प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के हाथ भी आलाकमान ने बांध डाले हैं। दूसरी तरफ प्रीतम सिंह खेमा अपने नेता के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने से बेहद नाराज बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो प्रीतम सिंह इस पद को छोड़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के इच्छुक नहीं थे लेकिन हरीश रावत के दबाव के चलते उन्हें हटना पड़ा। इसका बदला प्रीतम सिंह ने रंजीत रावत को कार्यकारी अध्यक्ष बना कर ले लिया। पार्टी के एक अन्य पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी इस फेर-बदल से खासे खिन्न बताए जा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष दोबारा बनने के लिए कई दिन तक दिल्ली में डेरा डाले रहे किशोर को कोआर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष पद से ही संतोष करना पड़ा है। पार्टी सूत्रों की मानंे तो हरीश रावत को भले ही चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना पार्टी आलाकमान ने उनके नेतृत्व में चुनाव की तरफ स्पष्ट इशारा कर दिया हो, प्रीतम खेमा हरीश रावत को सीएम चेहरा मानने से स्पष्ट इंकार कर रहा है। ऐसे में पार्टी का एकजुट हो 2022 में चुनाव लड़ना दूर की कौड़ी समान नजर आ रहा है।

पंजाब की तर्ज पर उत्तराखण्ड

https://thesundaypost.in/sargosian-chuckles/uttarakhand-on-the-lines-of-punjab/

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