सतपाल मलिक इन दिनों गजब कर रहे हैं। वे लगातार भाजपा और केंद्र सरकार पर हमले कर रहे हैं। उनके हमले खासे तीखे हैं लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा न जाने किस भय के चलते कुछ भी रियक्ट करने से बच रही है। कई बार के सांसद रहे सतपाल मलिक समाजवादी पृष्ठभूमि से आते हैं। कभी कांग्रेस और जनता दल के सदस्य रहे मलिक ने 2004 में भाजपा की सदस्यता ले ली थी। पार्टी ने उन्हें अपना राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और किसान मोर्चा का अध्यक्ष बनाया था। 2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया। 2018 में वे जम्मू-कश्मीर के गवर्नर बनें। उनके ही समय में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 केंद्र सरकार ने समाप्त कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया था। यहां के राज्यपाल रहते मलिक की भाजपा नेतृत्व से खटपट होने लगी। पहले उन्हें इस महत्वपूर्ण राज्य से हटा गोवा जैसे छोटे राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गई फिर यकायक ही उन्हें उनके बचे टर्म के लिए मेघालय का गवर्नर बना दिया गया। इसके बाद से ही मलिक के तेवर बगावती हो गए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में भारी भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए सीधे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर निशाना साधा तो गोवा में भाजपा सरकार के भी भ्रष्ट होने की बात कह डाली। इतने पर ही मलिक रूके नहीं। किसान आंदोलन को लेकर पहले से ही केंद्र सरकार की आलोचना करने वाले मलिक ने अब सीधे पीएम मोदी पर प्रहार कर दिया है। गत् दिनों राजस्थान पहुंचे मलिक ने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कह डाला कि कुत्ते का बच्चा मरने पर संवेदना प्रकट करने वाले 600 किसानों की मौत पर चुप्पी साधे हैं। उनका टारगेट पीएम मोदी ही थे जिन्होंने कुछ बरस पहले कुत्ते के बच्चे के मरने संबंधित बयान दिया था। जानकारों का दावा है कि भाजपा आलाकमान मलिक को बर्खास्त करने से इसलिए बच रहा है क्योंकि उसे भय है कि मलिक की बर्खास्तगी उत्तर प्रदेश के चुनाव में उसे भारी न पड़ जाए। गौरतलब है कि मलिक जाट समुदाय से आते हैं जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा बड़ा वोट बैंक है। किसान मुद्दे को लेकर इस समुदाय का भाजपा से पहले ही मोहभंग हो चला है। खबर जोरों पर है कि केंद्र सरकार पांच राज्यों में अगले बरस की शुरूआत में होने जा रहे चुनाव बाद तुरंत ही मलिक को बाहर का रास्ता दिखा देगी। मलिक का गवर्नर कार्यकाल सितंबर 2022 तक है तब तक बेचारी भाजपा मलिक को झेलते रहने के लिए विवश रहेगी।