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अभी कुछ अर्सा पहले तक मुख्यधारा के मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक चौतरफा खबरों की भरमार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा आलाकमान के मध्य चल रही तकरार को लेकर थी। कहा जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह योगी की कार्यशैली के चलते उनसे खासे नाराज हैं। खबरों का बाजार योगी को बदले जाने से लेकर उन पर नकेल डालने के लिए पूर्व नौकरशाह ए ़के ़शर्मा को प्रदेश का डिप्टी सीएम बनाए जाने और उन्हें गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दिए जाने का इशारा कर रहा था। फिर खबरंे आने और छाने लगी कि योगी बगावत पर उतर आए हैं। वे किसी भी कीमत पर शर्मा को अपने मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाने के लिए रजामंद नहीं हो रहे हैं। संघ के नंबर दो दत्तात्रेय होसबोले और भाजपा के संगठन महामंत्री बी ़एल ़संतोष का लखनऊ दौरा भी खासा चर्चा में रहा। इन दिग्गजों की योगी संग लंबी बैठक लेकिन बेनतीजा और योगी के बगावती तेवर बरकरार रहे। ए ़के ़ शर्मा का प्रदेश भाजपा का सोलहवां उपाध्यक्ष पद स्वीकारना पड़ा जिससे स्पष्ट संकेत सामने आया कि मोदी-शाह के आगे योगी महाराज झुके नहीं। अब पीएम मोदी का योगीमय होना भाजपा के भीतर भारी चर्चा का विषय बन रहा है। पिछले दिनों अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे पीएम पूरी तरह योगीमय अवतार में दिखे। उन्होंने योगीराज को जमकर सराहा और कोरोना महामारी को परास्त करने के लिए योगी सरकार की पीठ थपथपाई। पार्टी सूत्रों का मानना है कि पीएम का योगी प्रेम केवल विधानसभा चुनावों तक रहेगा। इन सूत्रों की माने तो यदि भाजपा 2022 में यूपी फिट से जीत पाने में सफल रहेगी तब पीएम मोदी के योगी प्रेम की असल तस्वीर सामने आ जाएगी। ज्यादातर भाजपाई मानते है कि इस बार किसी भी कीमत पर योगी को भाजपा आलाकमान सीएम नहीं बनाने वाला। चूंकि उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है इसलिए चुनावों तक मोदी-शाह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। यदि चुनाव नतीजे अनुकूल हुए तो पार्टी राज्य को बतौर सीएम नया चेहरा देगी और यदि प्रतिकूल हुए तो योगी आदित्यनाथ को बलि का बकरा घोषित कर उनसे किनारा कर लेगी। दोनों ही सूरतों में योगी का राजनीतिक अवसान तय बताया जा रहा है।

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