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दिल्ली से लेकर बिहार की राजधानी पटना तक इन दिनों राज्य में कुछ बड़ा ‘खेला’ होने की बात कही-सुनी जा रही है। यूं तो नाना प्रकार की चर्चाओं का बाजार काफी अर्से से यहां गर्म है लेकिन वीआईपी पार्टी के विधान दल में सेंधमारी कर उसके तीन विधायकों को अपने दल में शामिल करा भाजपा आलाकमान ने इन चर्चाओं को अब तूफान में बदल डाला है। गौरतलब है कि उत्तरी भारत के मुख्य राज्यों में अकेला बिहार ऐसा राज्य है जहां भाजपा कई बार सत्ता में तो भागीदारी कर चुकी है लेकिन खुद का सीएम अभी तक नहीं बनवा पाई है। 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की परफॉरमेंस गठबंधन सहयोगी जद(यू) से खासी बेहतर रही लेकिन सीएम पद जद(यू) के पास ही रहा। अब खबर है कि भाजपा नीतीश कुमार को येन-केन-प्रकारेण पद छोड़ने के लिए तैयार करने का ‘खेला’ रच रही है। यही कारण है कि यकायक नीतीश बाबू का नाम उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के लिए उछाला गया है। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान नीतीश कुमार को सम्मानजनक विदाई देने के मूड में है। दूसरी तरह नीतीश कुमार भी समर्पण की मुद्रा में आ चुके हैं। योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी को जिस अंदाज में नीतीश कुमार ने नमस्कार किया उससे साफ झलकता है कि नीतीश बाबू अब ‘मोदी शरणम् गच्छामि’ को स्वीकार चुके हैं। बिहारी बाबू का आधे से अधिक झुककर मोदी का अभिवादन करना भले ही नीतीश समर्थकों को अखरा हो, इस शरणम् गच्छामि के अब राजनीतिक
निहितार्थ दिल्ली और पटना में तलाशे जाने शुरू हो चले हैं।

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