उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती अपने ‘सुर’ समय अनुसार बदलने के लिए कुख्यात हैं। अपनी सुविधानुसार कभी वे धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ जुगलबंदी कर लेती हैं तो कभी भगवामयी हो जाती हैं। भ्रष्टाचार के जरिए अकूत संपत्ति कमाने के आरोपों का भी मायावती संग चोली-दामन का रिश्ता है। ऐसे में लंबे अर्से से सत्ता सुख वंचित बहनजी एक बार फिर से भगवा खेमे की तरफ झुकती नजर आ रही हैं। राजस्थान में गहलोत सरकार पर मंडरा रहे संकट के दौरान मायावती का स्टैंड भाजपा के पक्ष में स्प्ष्ट नजर आ रहा है। खबर है कि बसपा प्रमुख ने अपनी पार्टी के नेताओं को भी भाजपा के खिलाफ बयानबाजी न करने की सख्त हिदायत दे रखी है। जानकारों का कहना है कि मायावती भाजपा का सीधे आक्रामक रुख अपनाने से इसलिए बच रही हैं क्योंकि उन्हें डर है कि केंद्र सरकार आय से अधिक संपत्ति के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच का आदेश दे सकती है। गौरतलब है कि यदि ऐसा हुआ तो मायावती शासनकाल में हुए कई घोटालों की जद में उनके भाई आनंद की भूमिका का पर्दाफाश उनके लिए बड़ी मुसीबत बन जाएगा। पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि समाजवादी पार्टी संग बसपा का चुनावी गठबंधन बेहद निराशानजर रहा इसलिए बहनजी 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा संग गठजोड़ का रास्ता बंद नहीं करना चाहती हैं।
माया का बढ़ता भाजपा प्रेम
