तूणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी धीरे-धीरे विपक्ष की धुरी बनती जा रही हैं। पश्चिम बंगाल में भाजपा के तमाम प्रयासों को धता बता तीसरी बार सरकार बनाने वाली ममता बनर्जी की सांगठनिक क्षमता से प्रभावित होकर कांग्रेस ने ऐलान कर डाला है कि वह पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों के बजाए तृणमूल कांग्रेस संग भविष्य में गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी। इतना ही नहीं भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने ममता के खिलाफ अपना उम्मीदवार न उतारने की घोषणा भी कर दी है। खबर जोरों पर है कि ममता संग अदावत रखने वाले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसका जोरदार विरोध किया, लेकिन सोनिया गांधी ने उनकी एक न सुनी। यह भी खबर गर्म है कि चौधरी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से भी हटाने का निर्णय पार्टी आलाकमान ने ले लिया है ताकि तृणमूल संग कांग्रेस के गठबंधन में कोई रुकावट न आए। दूसरी तरफ वामपंथी दलों ने भी ममता के नेतृत्व को अपना समर्थन देते हुए कह डाला है कि त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल को छोड़कर अन्य राज्यों में वह ममता के संग मिलकर भाजपा का मुकाबला करने को तैयार हैं। जानकारों का दावा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस के सुप्रीमो शरद पवार यूपीए गठबंधन के घटक दलों संग इन दिनों गुपचुप वार्ता कर यूपीए की कमान कांग्रेस के बजाए तृणमूल के हवाले करने की रणनीति बना रहे हैं। पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद बहुत संभव है कि शरद पवार जुलाई 2022 में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ें।