पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गोवा प्रेम तेजी से समाप्त होने की चर्चा चौतरफा हो रही है। दरअसल, अपने गृह राज्य में प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री शाह की तमाम कोशिशों को धता बताने में सफल रहीं दीदी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी ताकतों का चेहरा बनने की ठान ली है। अपने इस मिशन को मुकाम तक पहुंचाने के लिए दीदी ने तृणमूल कांग्रेस का देशभर में तेजी से विस्तार करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई। इस मिशन के तहत ही गोवा में पार्टी चुनाव मैदान में उतरी है। ममता ने बड़े स्तर पर कांग्रेस में सेंधमारी कर गोवा में तृणमूल को ताकतवर बनाने का काम किया। एक पूर्व मुख्यमंत्री सहित कई विधायक और नेता कांग्रेस छोड़ तृणमूल में शामिल हुए। इससे दीदी का उत्साह दोगुना हो गया। उन्होंने पूर्व सीएम लुइजिन्हो फलेरियो को पार्टी की तरफ से राज्यसभा तक भेज डाला। सूत्रों की मानें तो ऐसा एक राजनीतिक डील के तहत किया गया। डील यह थी कि फलेरियो विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और विधायक बनते ही राज्यसभा से त्यागपत्र दे देंगे। उनके त्यागपत्र के बाद ममता पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को राज्यसभा भेजने की योजना बनाए हुए थीं। फलेरियो ने लेकिन सांसदी मिलने के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने से मना कर डाला। खबर जोरों पर है कि ममता इसके चलते फलेरियो को राज्यसभा भेजने के सूत्रधार रहे राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर से खासी नाराज हो चली हैं। इतना ही मानो काफी नहीं था कि तृणमूल में शामिल हुए कई कांग्रेसियों ने चुनाव से ठीक पहले तृणमूल छोड़ घर वापसी कर ली। जानकारों की मानें तो चाहे दीदी लाख दावा करें, 10 मार्च के दिन आने वाले चुनाव नतीजे तृणमूल के लिए निराशाजनक रहने वाले हैं। खबर यह भी गर्म है कि यदि पार्टी गोवा में फेल रही तो दीदी का कहर अपने भतीजे और गोवा के इंचार्ज अभिषेक के साथ-साथ प्रशांत किशोर पर गिरना तय है।