मध्य प्रदेश में हालिया संपन्न उपचुनावों के बाद शिवराज सिंह चैहान सरकार अब स्थिर हो चुकी है। मुख्यमंत्री जल्द ही अपने कैबिनेट में बड़ी फेरबदल करने का इशारा कर चुके हैं। प्रदेश भाजपा संगठन के पुर्नगठन के बाद चैहान कुछ नए मंत्रियों को शपथ दिला सकते हैं। इस बीच कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए ज्योदिरादित्या सिंधिया पार्टी में खुद को मिसफिट पा रहे हैं। सिंधिया कांग्रेस में रहते गाँधी परिवार के करीबी होने के चलते हाई पोजिशन वाले नेता थे। कांग्रेस के बड़े नेता भी उनकी बात को इग्नौर करने का साहस नहीं कर पाते थे।
भाजपा में लेकिन वे एक दोयम दर्जे के नेता बन कर रह गए हैं। कांग्रेस में रहते दबाव की राजनीति के आदि हो चुके सिंधिया भाजपा कल्चर में ऐसा कुछ कर पाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। उनके साथ भाजपा में शामिल हुए नेताओं को अभी तक संगठन में एडस्ट नहीं किया गया है। उपचुनाव हार चुकी सिंधिया समर्थक इमरती देवी का भविष्य में अधर में लटका हुआ है। सिंधिया चाहते हैं कि इमरती देवी को किसी महत्वपूर्ण निगम का अध्यक्ष बना उनका मंत्री का दर्जा बरकरार रखा जाए। भाजपा नेतृत्व ने उन्हें अभी तक इस बाबत अपने रूख से अवगत नहीं कराया है। उनके दो अन्य साथियों तुलसी सिलसवार और गोविंद सिंह राजपूत भी अभी तक शिवराज कैबिनेट में शामिल नहीं किए गए हैं। दोनों ही कांग्रेस छोड़ने के बाद बनी शिवराज चैहान सरकार में मंत्री बनाए गए थे लेकिन छह माह की अवधि पूरी होने के बाद हुए उपचुनाव से ठीक पहले उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। अब वे दोबारा विधायक चुने जा चुके हैं। इंतजार दोबारा मंत्री बनने का है। गत् 1 दिसंबर को इन्हीं मुद्दों पर सीएम से मिलने गए सिंधिया संग शिवराज मिले जरूर लेकिन उन्हें 40 मिनट इंतजार करवा कर। मुलाकात भी महज 10 मिनट की हुई। इसके बाद से ही भाजपा में महाराज की बेकद्री के किस्से भोपाल के सत्ता गलियारों में गूंजने लगे हैं।