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चुनावी साल में जहां भाजपा ने अपने सभी कार्यकर्ताओं को हर दिन के हिसाब से काम करने के निर्देश दिए हैं, वहीं उसके राज्यों के तमाम नेता संगठन और सरकारों में फेरबदल की संभावनाओं से परेशान हैं। खासकर इस साल होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर उनका काम में भी उतना मन नहीं लग रहा है। उनको लगता है कि पता नहीं कब उन्हें पैदल कर दिया जाए। ऐसे में सबकी नजर दिल्ली पर लगी है, जहां अगले एक महीने में बड़े फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही हैं। भाजपा कार्यकारिणी में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को कार्यकाल विस्तार मिलने और लोकसभा चुनाव में एक साल बाकी रहने से इस तरह की चर्चाएं ज्यादा हैं। राज्यों के नेताओं की केंद्रीय नेताओं से बातचीत में कोई स्थिति साफ नहीं हो पा रही है। सभी का एक ही जबाब होता है कि आपको तो पता ही है कि फैसला कहां से होना है। गौरतलब है कि जब से केंद्रीय मंत्रिमंडल में कथित फेरबदल की खबरें चल रही हैं, अटकलों का बाजार गर्म है। संभावित दावेदार गुपचुप अपनी संभावना तलाश रहे हैं। चुनावी राज्यों से तो बहुत दावेदार निकलकर आ रहे, लेकिन वे असमंजस में हैं कि पता नहीं बदलाव होगा या नहीं, कौन शामिल होगा या बाहर होगा, यह भी कोई नहीं कह सकता।

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