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तीन राज्यों में सत्ता से बेदखल हुई भाजपा के समक्ष सबसे बड़ा संकट एनडीए में शामिल अपने सहयोगी दलों को थामे रखने का है। चंद्र बाबू नायडू के इस्तीफे से शुरू हुआ एनडीए में बिखराव केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के साथ छोड़ने बाद अब बाकी सहयोगी दलों में भी अपना असर दिखाने लगा है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में मंत्री रहते हुए भी खुलकर भाजपा की आलोचना कर रहे हैं तो लंबे समय से भाजपा के सुर से सुर मिलाने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी राम मंदिर मुद्दे के बहाने भाजपा से दूरी बढ़ानी शुरू कर दी है। पासवान के बेटे चिराग पासवान ने स्पष्ट रूप से कह डाला है कि राम मंदिर पर किसी भी प्रकार के अध्यादेश का उनकी पार्टी विरोध करेगी। महाराष्ट्र के दलित नेता और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कांग्रेस अध्यक्ष की इन दिनों तारीफें करनी शुरू कर दी हैं तो भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी दल शिवसेना के बोल लंबे अर्से से बिगड़े हुए हैं। जानकारों की मानें तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शीघ्र ही अपने सहयोगी दलों के नेताओं से वन टू वन बातचीत का दौर शुरू करने जा रहे हैं।

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