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महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की पहचान एक ऐसे बेबाक राजनेता की रही है जो पार्टी लाइन से बाहर जाकर भी बयानबाजी करने से कभी नहीं चूकते। अपनी इस शैली के चलते उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे कोश्यारी ने कई बार भाजपा आलाकमान की नाराजगी का सामना किया है। कोश्यारी चूंकि खांटी संघी हैं इसलिए उनके तीखे तेवरों को भाजपा नजरअंदाज करती रही है। इस बार लेकिन अपनी इसी बेबाकी के चलते कोश्यारी गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को लिखे अपने एक पत्र के चलते कोश्यारी का वर्तमान संकट पैदा हुआ है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से कोश्यारी ने अपने पत्र में जानना चाहा था कि फिल्म हॉल, बार, शॉपिंग मॉल्स को कोविड संक्रमण के दौरान तो राज्य सरकार ने खोलने की इजाजत दे डाली है लेकिन मंदिरों में पूजा अर्चना पर लगाई रोक क्यों नहीं हटा रही है। कोश्यारी बतौर राज्यपाल ने अपने इस प्रश्न से आगे बढ़ उद्धव पर तीखा प्रहार करने की नीयत से व्यंग्य किया ‘आप तो धर्म निरपेक्ष हो गए हैं।’ उनके इस कथन से भारी बवाल मचा है। शरद पवार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राज्यपाल की भाषा पर ऐतराज जताया तो विपक्षी दलों और बुद्धिजीवियों ने भाजपा की जबर्दस्त घेराबंदी कर डाली। चर्चा शुरू हो गई है कि क्या अब धर्मनिरपेक्ष होना इस देश में अपराध हो चला है? बैकफुट में भाजपा नेतृत्व ने अब खुले तौर पर राज्यपाल कोश्यारी की भाषा से अपनी असहमति जता दी है। केंद्रीय गृहमंत्री ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कह डाला ‘राज्यपाल ने शब्दों का सही चयन नहीं किया।’ गृहमंत्री के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि जल्द ही कोश्यारी को महाराष्ट्र से हटा किसी भाजपा शासित राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है।

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