राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुख्यालय नागपुर तक इन दिनों बड़ी चर्चा है कि लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद संघ दोबारा से भाजपा भीतर अपनी पकड़ मजबूत कर चुका है और अब सभी महत्वपूर्ण फैसलों पर उसकी सहमति लेना जरूरी होगा। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर लगाम कसने के लिए संघ इस बार अपनी पसंद का भाजपा अध्यक्ष बनाने जा रहा है। संघ की पसंद बतौर घोर मोदी विरोधी संजय जोशी का नाम यकायक ही मीडिया में उछलने लगा है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को भी संघ की पसंद बताया जा रहा है। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि संजय जोशी अथवा वसुंधराा के नामों पर मोदी-शाह कतई तैयार नहीं हैं लेकिन वे केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को यह जिम्मेदारी सौंपने के लिए तैयार हैं। शिवराज सिंह भी संघ के पसंदीदा नेता माने जाते हैं। मीडिया-सोशल मीडिया में चल रही इन कयासबाजियों से इतर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा का नया अध्यक्ष वही होगा जिसे प्रधानमंत्री चाहेंगे। ऐसों का मानना है कि मोदी-शाह अब भाजपा को अपने पैरों पर खड़ा करने का मन बना चुके हैं और उसे संघ के कंट्रोल से मुक्त कराना चाह रहे हैं। तर्क दिया जा रह है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चल रहे विधानसभा चुनाव में संघ कार्यकर्ताओं की उदासीनता इसी कारण चरम पर है तो दूसरी तरफ मोदी-शाह जीत के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि दिसम्बर में कौन भाजपा का अध्यक्ष बनता है। यदि नया अध्यक्ष मोदी-शाह की पसंद का होगा तो तय मानिए कि जैसा नड्डा ने कहा था, संघ अब भाजपा की जरूरत नहीं रह गया है और मोदी उसे पूरी तरह स्वतंत्रत संगठन बनाने के लिए कमर कस चुके हैं।