धर्मगुरु सतपाल महाराज के शिष्यों की संख्या करोड़ों में बताई जाती है।
उनके प्रवचनों की भारी डिमांड न केवल भारत बल्कि विदेशी मुल्कों में भी रहती है। राजनीति में लेकिन सतपाल लगातार हाशिए में सिमटते जा रहे हैं। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए महाराज को उम्मीद थी कि भविष्य में वे ही भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा होंगे। ऐसा लेकिन हुआ नहीं। भाजपा ने अपने पुराने चावल त्रिवेंद्र की ताजपोशी कर डाली।
- मन काटकर महाराज को त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में शामिल होना पड़ा। अब खबर है कि राज्य का पर्यटन मंत्रालय संभाल रहे सतपाल महाराज के आदेश उनके ही विभागीय अधिकारी नहीं सुन रहे। सरकार के विज्ञापनों और पोस्टर-बैनर आदि में महाराज को जगह नहीं दी जा रही है। 2021 में होने जा रहे कुंभ की तैयारियों में भी महाराज की कोई भूमिका तय नहीं की गई है। चर्चा जोरों पर है कि पिछले दिनों खफा हो महाराज ने अपने विभागीय सचिव दिलीप जालवकर की जमकर क्लास ली। खबर हालांकि यह भी है कि जावलकर ने मंत्री जी को दो टूक कह डाला कि जब तक सीएम दफ्तर से आदेश नहीं मिलते वे उनकी फोटो विज्ञापन आदि में नहीं चस्पा कर पाएंगे।