इस वर्ष के अंत में गुजरात विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा आलाकमान ने अभी से चुनावी तैयारियां शुरू कर डाली हैं। गत् वर्ष एंटी इन्कमबेंसी को कम करने की नीयत से पार्टी ने न केवल सीएम बल्कि पूरी कैबिनेट ही गुजरात में बदल दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उनके पूरे मंत्रिमंडल को बाहर का रास्ता दिखा भाजपा ने इतिहास रच डाला था। अब खबर जोरों पर है कि पार्टी हाईकमान ज्यादातर विधायकों के टिकट काट नए चेहरों पर दांव लगाने की कवायद में जुट गया है। सूत्रों की मानें तो टिकट कटने की आशंका ने प्रदेश भाजपा भीतर भारी बेचैनी पैदा कर दी है। दरअसल बीते 27 बरसों से गुजरात में सत्ता पर काबिज भाजपा को इस दफे चौतरफा फैली एंटी इन्कमबेंसी का भय सता रहा है। विजय रूपाणी को हटा सीएम बनाए गए भूपेंद्र पटेल की परफॉरमेंस कुछ खास नहीं रही है। भाजपा किसी भी कीमत पर गुजरात नहीं खोना चाहती है। प्रधानमंत्री मोदी के गृह प्रदेश में हार का सीधा प्रभाव पीएम की छवि और करिश्मे पर पड़ेगा इसलिए पार्टी आलाकमान पूरी ताकत और प्लानिंग के साथ इस चुनाव में उतरने की रणनीति बना रहा है। खबर गर्म है कि तीन से चार बार के विधायकों का टिकट इस बार कटना तय है। इतना ही नहीं विजय रूपाणी सरकार में मंत्री रहे सभी विधायकों को भी पार्टी का टिकट नहीं दिए जाने की बात कही जा रही है। चर्चा यह भी है कि कई पुराने भाजपाई अपनी उपेक्षा से नाराज हो कांग्रेस अथवा आम आदमी पार्टी में अपने लिए जगह तलाशने में जुट गए हैं।
गुजरात भाजपा में भारी बेचैनी
