झारखंड विधानसभा के चुनाव दिसम्बर में होने तय हैं। ऐसे में प्रदेश का राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ने लगा है। भाजपा हर कीमत पर यहां अपनी जीत दर्ज कराने को आतुर है तो सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस के साथ मिलकर सत्ता में बने रहने का प्रयास कर रहा है। 2019 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन इस बार केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा प्रताड़ित किए जाने का विकटिम कार्ड खेल आदिवासी समाज की सहानुभूति बटोरने का प्रयास कर रहे हैं। इस वर्ष 31 जनवरी को केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने चलते सोरेन से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे अपने विस्वस्त आदिवासी विधायक चम्पई सोरेन को सीएम पद सौंपा था। जमानत मिलने के बाद हेमंत दोबारा सीएम तो बन गए लेकिन चम्पई सोरेन ने भाजपा में शामिल हो हेमंत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हेमंत सोरेन अभी जमानत पर बाहर हैं जरूर लेकिन उन पर केंद्रीय जांच एजेंसियों का शिकंजा
कमजोर नहीं हुआ है। ऐसे में उन्होंने चम्पई सोरेन प्रकरण से सबक लेते हुए भविष्य में गिरफ्तारी की स्थिति में पार्टी की कमान अपनी पत्नी के हाथों में सौंपने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन इंडिया गठबंधन के बैनर तले राज्य में महिला सम्मान की बात करते हुए ‘मईय्या सम्मान यात्रा’ निकालने में जुट गई हैं। इस यात्रा का घोषित उद्देश्य तो महिला मतदाताओं को उनके अधिकारों की बाबत जागरूक करना है, असल कहानी लेकिन कल्पना सोरेन को पार्टी का नम्बर दो बनाने की कवायद है ताकि यदि हेमंत सोरेन पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की भविष्य में फिर से ‘कृपा दृष्टि’ होती है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा की कमान परिवार के हाथों में ही सुरक्षित रह पाए इसे सोरेन का प्लान बी कह पुकारा जा रहा है।