साल के अंत में होने वाले गुजरात, हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ‘दिल्ली मॉडल’ के जरिए भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है। भाजपा के मुकाबले राज्य में कमजोर राजनीतिक ताकत होने के बाद भी दृष्टिकोण की लड़ाई में केजरीवाल भाजपा को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि भाजपा ने हर स्तर पर अपनी चाक-चौबंद रणनीति से एक बार फिर गुजरात फतेह की तैयारी करनी शुरू कर दी है। दिल्ली में कथित शराब घोटाला भी गुजरात में चर्चा में है और यह आम आदमी पार्टी के मंसूबों पर भारी पड़ सकता है। लेकिन गुजरात में आम आदमी पार्टी घुसपैठ कर राजनीतिक लड़ाई को बदलने की कोशिश में है। पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी अब गुजरात पर अपना जोर लगा रही है, ताकि भविष्य में केंद्रीय राजनीति में अपनी भूमिका को मजबूत कर सके। ‘आप’ की चुनावी रणनीति को लेकर राजनीतिक पंडितों का मानना है कि दिल्ली मॉडल के जरिए आम आदमी पार्टी अन्य राज्यों में भी जनता का दिल जीतना चाहती है। जिस प्रकार आम आदमी पार्टी गुजरात में भाजपा के साथ मुख्य मुकाबले में आने के लिए दिल्ली के मॉडल को जोर-शोर से प्रचारित कर रही है, उससे साफ है कि दिल्ली मॉडल से ही ‘आप ’ लोगों का दिल जीतने की कोशिश में है। गौरतलब है कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी ने भी गुजरात के विकास मॉडल को देश भर में प्रचारित किया था और इसका भाजपा को बड़ा लाभ भी मिला। अब केजरीवाल उसी रास्ते पर चलकर भाजपा से मुकाबला करने की तैयारी में हैं। गुजरात में बीते विधानसभा चुनाव में राज्य की 182 सीटों में भाजपा को 99 व कांग्रेस को 77 सीटें मिली थी। अन्य के हिस्से में छह सीटें आई थीं। जबकि आम आदमी पार्टी को बीते चुनाव में मात्र 0.1 फीसद वोट ही मिले थे। बाद में 2021 के निकाय चुनाव में सूरत नगर निगम में 121 में से 27 सीटें जीत कर आप ने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया था। गांधीनगर में भी उसने एक सीट जीती थी। इसके बाद आप ने यहां पर अपना जोर बढ़ाना शुरू किया है।
दिल्ली मॉडल से जीतेगी दिल!
