‘अनेकता में एकता’ का पाठ बचपन से ही पढ़ाए जाने वाले देश में धर्म, जाति और भाषा के आधार पर विभाजक रेखाओं का निरंतर विस्तार अब लोकसभा में भी स्पष्ट नजर आने लगा है।
गौरतलब है कि लोकसभा में हर सत्र की शुरुआत सुबह स्पीकर का स्वागत कर की जाती है। यह स्वागत सांसदों द्वारा स्पीकर को ‘गुड मॉर्निंग’, ‘नमस्कार’ या फिर ‘वणक्कम’ कह किया जाता रहा है। अब लेकिन भाषाई और क्षेत्रीय दरार की गूंज संसद में भी सुनाई देने लगी है। वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का स्वागत इन तीन अभिवादनों के साथ-साथ ‘जय तेलंगाना’, ‘जय महाराष्ट्रा’, ‘जय बांग्ला’, ‘सतश्री अकाल’, ‘जय भीम’, ‘जय श्री राम’ और ‘हैल मेरी’ जैसे अभिवादनों से होने लगा है। जानकारों की मानें तो इसकी शुरुआत पिछले कुछ समय से भाजपा सांसदों द्वारा संसद में ‘जय श्री राम’ के नारों से हुई जो अब अलग-अलग प्रांतों के जयकारों के संसद में प्रतिदिन गूंजने का कारण बन गई है। जाहिर है लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर कहलाए जाने वाली संसद में इस प्रकार के अभिवादन ‘अनेकता में एकता’ के मंत्र को धूल-धूसरित तो करते ही हैं, भविष्य में नई विभाजक रेखाओं के गहराने का खतरा भी बन सकते हैं।
संसद में बढ़ती भाषाई दूरी
