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वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद इन दिनों चौतरफा मुसीबतों से घिरे नजर आ रहे हैं। पार्टी आलाकमान पहले से ही आजाद से खासा नाराज चल रहा है तो केंद्र सरकार की जांच एजेंसी सीबीआई का शिकंजा भी आजाद पर कसने के आसार स्पष्ट नजर आने लगे हैं। आजाद की गिनती गांधी परिवार के वफादारों में होती थी। सोनिया गांधी के विश्वस्त होने का उन्हें हमेशा लाभ मिला। केंद्र सरकार में मंत्री पद हो या फिर 2005 में जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनना, सोनिया की कृपा चलते ही गुलाम नबी को हासिल हुआ था। लेकिन कांग्रेस के बुरे दिन आजाद ने 22 अन्य नेताओं के साथ मिलकर सोनिया गांधी को एक ऐसा पत्र लिख मारा जिसने पार्टी आलाकमान की नजरों में उन्हें गिरा दिया। अभी आजाद इस झटके से उबरे भी नहीं हैं कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने आजाद के सीएम रहते सरकारी जमीन की कथित बंदरबांट को भारी घोटाले बताते हुए मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे डाले हैं। गौरतलब है कि अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में आजाद ने प्रदेश के कई सौ एकड़ जमीन भूमिहीनों को देने का निर्णय लिया था। इस जमीन की बंदरबांट के आरोप सामने आने के बाद कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और नौकरशाह बड़ी मुसीबत में आ गए थे। हाईकोर्ट ने इस भूमि वितरण को निरस्त करते हुए 25 हजार करोड़ की इस ‘लूट’ की जांच सीबीआई को सौंप दी है। राजनीतिक गलियारों में भारी चर्चा है कि आजाद का इन दिनों भाजपा के प्रति नरम रुख इसी घोटाले के चलते है।

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