राजस्थान के उदयपुर में आयोजित कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में चर्चाओं और कानाफूसियों का केंद्र राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रहे। खबर गर्म है कि जल्द ही राज्य सरकार की कमान युवा नेता सचिन पायलट को देने का मन कांग्रेस आलाकमान बना चुका है। 71 वर्षीय गहलोत की सरकार पर लग रहे नित नए आरोपों के चलते कांग्रेस आलाकमान खासा चिंतित बताया जा रहा है। दिसंबर, 2023 में राज्य विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मुख्य विपक्षी दल भाजपा बेहद आक्रामक हो गहलोत सरकार को घेरने में जुट चुकी है। सरकार में मंत्री महेश जोशी के पुत्र रोहित जोशी का नाम एक बलात्कार के मामले से जुड़ गया है। दिल्ली पुलिस ने एक 23 वर्षीय युवती की शिकायत पर रोहित जोशी पर बलात्कार की जीरो एफआईआर दर्ज कर ली है। युवती किसी न्यूज चैनल की एंकर बताई जा रही है। स्वयं मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में दंगों का होना भी गहलोत सरकार की किरकिरी का बड़ा कारण बन चुका है। गत् नौ मई के दिन भरतपुर में सिखों और मुसलमानों के मध्य हुए इन दंगों को लेकर भाजपा सरकार पर जमकर प्रहार कर रही है। अप्रैल माह में अलवर जिले के राजगढ़ में एक तीन सौ बरस पुराने मंदिर को प्रशासन द्वारा गिराए जाने का मुद्दा भी भाजपा जमकर भुना रही है। केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी भी 2021 में हुए टीचर भर्ती घोटाले की तेजी से जांच करने में जुटी हुई है। ऐसे में चौतरफा घिरे मुख्यमंत्री गहलोत के बजाय कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट के नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ने की योजना बना रहा है। खबर जोरों पर है कि चुनाव से ठीक एक बरस पूर्व यानी दिसंबर 2022 के करीब राज्य की कमान सचिन पायलट को सौंपा जाना लगभग तय कर लिया गया है। जानकारों की मानें तो अशोक गहलोत को कांग्रेस की केंद्रीय टीम में शामिल होने के लिए मनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि यदि गहलोत राजी नहीं हुए तो अमरिंदर सिंह की भांति ही उन्हें भी साइड लाइन करने की रणनीति तैयार हो चुकी है।
खतरे में गहलोत की कुर्सी
