उत्तराखण्ड की पुलिस को ‘मित्र पुलिस’ के नाम से पुकारा जाता है। नैनीताल जनपद की पुलिस पर यह टैग इन दिनों बिल्कुल सही प्रमाणित हो रहा है। सोशल मीडिया से लेकर सत्ता के गलियारों तक चर्चा गर्म है कि एक नाबालिग संग यौन दुराचरण के मामले में फरार चल रहे लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा को जिले की ‘मित्र पुलिस’ गिरफ्तार करने से बच रही है। खबर यह भी है कि नैनीताल जनपद के ही दो भाजपा विधायक इस बात की शिकायत राज्य के सीएम तक से कर चुके हैं लेकिन बोरा अभी तक फरार ही चल रहा है। बोरा को नैनीताल हाईकोर्ट ने तीन दिन की आंतरिक राहत देते हुए अल्मोड़ा कोतवाली में प्रतिदिन हाजरी लगाने का आदेश दिया था। सूत्रों की मानें तो लालकुआं कोतवाल ने अपने आला अफसरों को सलाह दी थी कि बोरा पर नजर रखने के लिए लालकुआं पुलिस को अल्मोड़ा भेजा जाना चाहिए। कोतवाल को लेकिन ऐसा कुछ करने से एक आला अफसर ने रोक दिया। नतीजा रहा हाईकोर्ट ने जैसे ही उसे दी गई अंतरिम राहत हटाई बोरा अल्मोड़ा से फरार हो गया। यहां तक कहा-सुना जा रहा है कि ‘मित्र पुलिस’ की इस मेहरबानी के पीछे असल कारण मुकेश बोरा की राजनीतिक पहुंच नहीं, बल्कि सिस्टम को मैनेज करने की वही पुरानी तरकीब है जिसके चलते अपराधियों के हाथ कानून के हाथों से हमेशा लम्बे हो जाते हैं।