वित्तमंत्री अरुण जेटली पिछले कुछ माह से अस्वस्थ चल रहे थे। इस अस्वस्थता के चलते ही वे कुछ माह तक बिना विभाग के मंत्री रहे और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वित्त मंत्रालय का काम भी संभाला। अरुण जेटली की लंबी बीमारी का एक बड़ा असर सरकार के रिजर्व बैंक, चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट और लॉ कमीशन संग रिश्तों में भी देखने को मिला। सुप्रीम कोर्ट पिछले कुछ अर्से से सरकार के खिलाफ मुखर हुआ है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की पिछले दिनों हुई गिरफ्तारी पर कोर्ट के कड़े तेवर, कर्नाटक विधानसभा में विश्वासत मत का समय पंद्रह से दो दिन करना आदि इसके उदाहरण हैं। रिजर्व बैंक ने भी नोटबंदी पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की है जब आम चुनाव और पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। जाहिर है केंद्र सरकार इस सबसे खासी असहज है। अब खबर है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली एक बार फिर संकटमोचक की अपनी भूमिका में वापस लौट आए हैं। माना जा रहा है जेटली की सक्रिय भूमिका सरकार का इन शीर्ष संस्थाओं संग संवाद बेहतर करने का काम करेगी।