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अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर पूर्वोत्तर में अभी से चुनावी फिजा बदलने लगी है। पूर्वोत्तर में जनता दल के जमाने से ही समाजवादियों का एक असर रहा है। नीतीश कुमार की पार्टी कम से कम तीन राज्यों-मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में अच्छी स्थिति में रही है। अरुणाचल प्रदेश के उसके छह विधायकों को भाजपा ने तोड़ कर अपनी पार्टी में मिला लिया। इस साल हुए चुनाव में नीतीश की पार्टी के छह विधायक जीतकर आए थे उनके पाला बदलते ही पूर्वोत्तर में हवा बदलने लगी है। मणिपुर में ही पहले कांग्रेस के पांच और एक निर्दलीय विधायक का विपक्ष था, जो अब 11 विधायक का हो गया है। इस बीच खबर है कि मेघालय और नागालैंड दोनों राज्यों में भाजपा की सहयोगी पार्टियां तेवर दिखाने लगी हैं। मेघालय में पांच पार्टियों की सरकार का नेतृत्व कर रहे एनपीपी के नेता कोनार्ड संगमा ने कहा है कि उनकी पार्टी अगले साल होने वाले चुनाव में भाजपा से गठबंधन नहीं करेगी। भाजपा अभी सरकार का हिस्सा है लेकिन संगमा ने साफ कर दिया है कि दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी। वहीं नागालैंड में भी भाजपा की सहयोगी एनडीपीपी ने भाजपा में विलय की खबरों को खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा है कि उनकी पार्टी राज्य की 60 में से 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और 20 सीटें भाजपा के लिए छोड़ेगी। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि अगले साल पूर्वोत्तर के जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां आने वाले दिनों कई बदलाव देखने को मिलेगा।

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