सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और कोर्ट के न्यायधीशों के मध्य कई मुद्दों पर असहमति रहने की परंपरा रही है। लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिला है कि किसी न्यायाधीश संग बार के संबंध इतने बिगड़ जाएं कि उनको सेवानिवृत्ति के समय बार फेयरवेल पार्टी न दे या फिर फेयरवेल दी जाए या नहीं चर्चा का मुद्दा बन जाए। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को लेकर ऐसा ही सुनने को मिल रहा है। 2 सितंबर को रिटायर हो रहे मिश्रा संग वर्तमान बार एसोशिएशन के रिश्ते तल्ख बताए जाते हैं। प्रशांत भूषण अवमानना मामले की सुनवाई कर रहे अरुण मिश्रा और बार एसोशिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे के आपसी रिश्ते भी खास अच्छे नहीं बताए जाते हैं।
गौरतलब है कि दवे प्रशांत भूषण के इस मामले में वकील भी हैं। ऐसे में पहले तो यह चर्चा जोरों पर रही कि बार एसोशिएशन न्यायमूर्ति मिश्रा को फेयरवेल पार्टी नहीं देगा। फिर इसका जब खंडन स्वयं बार एसोशिएशन से आ गया तब न्यायमूर्ति मिश्रा की तरफ से सूचित किया गया कि कोविड-19 के चलते मिश्रा फेयरवेल समारोह में शामिल नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट के वकीलों में इस बात की बड़ी चर्चा है कि असल कारण कोविड नहीं, बल्कि रिश्तों में तल्खी का होना है। फेयरवेल तो वैसे भी वर्चुअल होने जा रही थी।