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महाराष्ट्र की राजनीति में बतौर भाजपा नेता लंबे अर्से से फ्रंट फुट पर बैटिंग कर रहे देवेन्द्र फड़णवीस अब बैकफुट पर जाते नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वस्त फड़णवीस का जलवा अब कम होने लगा है। प्रदेश की राजनीति में उनसे छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले भाजपा नेताओं की तरफ अब पार्टी आलाकमान का झुकाव बढ़ने लगा है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महामंत्री बनाए गए विनोद तावड़े से फड़णवीस के रिश्ते बेहद खराब बताए जाते हैं। गत् विधानसभा चुनावों में फड़णवीस की मुखालफत के चलते तावड़े को टिकट तक नहीं मिल सका था। अब जेपी नड्डा ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना डाला है। तावड़े का प्रमोशन सीधे तौर पर देवेन्द्र फड़णवीस पर केंद्रीय नेतृत्व के कम हो रहे विश्वास से जोड़ कर देखा जा रहा है। इतना ही नहीं, फड़णवीस के एंट्री कैंप के अन्य बड़े नेता चंद्रशेखर बावनकुले के दिन भी फिर चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उनका टिकट भी पार्टी ने देवेन्द्र फड़णवीस के कहने पर काट दिया था। अब उन्हें विधान परिषद् सदस्य बनाया जा रहा है। मोदी सरकार में मंत्री बनाए गए राव साहेब दानवे भी फड़णवीस विरोधी नेताओं में शुमार किए जाते हैं। दरअसल, महाराष्ट्र भाजपा के पुराने नेताओं को फड़नवीस ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में साइड लाइन करने का काम किया था। वे अन्य दलों से भाजपा में शामिल हुए नेताओं पर ज्यादा भरोसा करते थे। उनके कहने पर ही राज्य विधान परिषद् में राज ठाकरे की पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए प्रवीण दारेकर नेता सदन को बनाया गया। इससे पुराने भाजपाइयों में खासा आक्रोश है। शरद पवार के बेहद करीबी रहे एनसीपी नेता प्रसाद साहू को भी फड़णवीस ने जमकर भाजपा भीतर प्रमोट करने का काम किया है। खबर जोरों पर है कि अब लेकिन भाजपा आलाकमान ने फड़णवीस की लगाम कसनी शुरू कर दी है। सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र भाजपा में अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी नेताओं का जलवा बढ़ने जा रहा है जिसके चलते फड़णवीस खेमे में भारी बेचैनी देखी जा रही है।

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