राजस्थान में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव के लिए मतदान नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे प्रदेश की राजनीति परवान चढ़ रही है। आलम यह है कि बीच चुनाव में भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मान नहीं रहे हैं। सचिन पायलट से मतभेद अब नहीं रहे, यह बात कहने में भी वे राजनीतिक दांव-पेंच करना नहीं भूले। इस बीच उन्होंने कहा कि पायलट के साथ मानेसर गए सभी लोगों के टिकट क्लियर हो चुके हैं। मैंने किसी एक पर भी आपत्ति नहीं जताई। आपत्ति नहीं जताने की बात कहकर वे ये भी कहना चाहते हैं कि ये सभी विधायक बगावत की कोशिश में शामिल हैं और इनके लिए खुद को त्याग करने वाले राजनेताओं में भी शुमार करना चाहते हैं। दिल्ली की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भी परोक्ष रूप से निशाना ही साधा। उन्होंने कहा मेरी वजह से वसुंधरा जी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। मेरे मुंह से तो गलती से निकल गया था कि हमारी सरकार को बचाने के लिए वसुंधरा जी का धन्यवाद। यह एक स्वस्थ परम्परा थी जिसके तहत कई पुराने नेता मानते थे कि किसी दल की सरकार गिराना ठीक नहीं। तीसरी बात गहलोत ने फिर से साफ कर दी है कि कांग्रेस जीती तो मुख्यमंत्री तो वही बनेंगे। बात कही जरूर कुछ अलग अंदाज में, लेकिन उसका मतलब कुछ ऐसा ही समझा जा रहा है। गहलोत ने कहा मैं तो मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहता हूं। ये पद मुझे नहीं छोड़ता और छोड़ेगा भी नहीं! जानकारों की मानें तो वसुंधरा राजे के बारे में बार-बार इस तरह के बयान देकर गहलोत वही करना चाहते हैं जो पहले से करते रहे हैं। उन्हें पता है कि भाजपा उनके कहने पर तो निर्णय लेगी नहीं, फिर भी इस तरह बार-बार वसुंधरा की प्रशंसा करके वे उन्हीं के लिए गड्ढा खोदने का काम करते हैं। क्योंकि वे जानते हैं वसुंधरा राजे मुख्य धारा में लौट आईं तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसलिए गहलोत की निगाहें कहीं और निशाने पर कोई और ही है।
कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना
