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तमिलनाडु की राजनीति में हमेशा से ही फिल्मी सितारों का कब्जा रहते आया है। तमिल राजनीति के कद्दावर नेता एम ़जी ़़ रामचंद्रन दक्षिण भारत के सुपर स्टार थे। द्रविड़ मुनेत्र कषगम में शामिल होने से पहले वे कांग्रेस के साथ थे। 1972 में उन्होंने डीएमके से अलग होकर अन्नाद्रमुक बना डाली थी। तब डीएमके की कमान करुणानिधि के हाथों में थी जो स्वयं तमिल फिल्मों के बड़े स्क्रिप्ट राइटर थे। एम. जी. रामचंद्रन के बाद अन्नाद्रमुक की कमान उस दौर की सबसे बड़ी अदाकारा जयललिता के हाथों चली गई। यह पहला चुनाव है जिसमें न तो करुणानिधि हैं, न जयललिता। दक्षिण की फिल्मी दुनिया के एक अन्य सितारे विजयकांत जरूर मैदान में हैं किंतु उन्हें जनता पहले ही नकार चुकी है। दक्षिण के अमिताभ कहलाए जाने वाले रजनीकांत ने बड़े जोर-शोर से राजनीति में एंट्री का ऐलान किया, फिर यकायक ही खराब स्वास्थ का हवाला देकर उन्होंने बैकआउट कर लिया। ऐसे में इन चुनावों में केवल कमल हसन अकेले सुपरस्टार हैं जो अपनी पार्टी ‘मक्कल निधि मैय्यम’ के साथ मैदान में हैं। हसन का जादू कितना चलेगा इसको लेकर चुनावी विशेषज्ञ असमंजस में हैं। हालांकि उनकी पार्टी का टिकट पाने के लिए होड़ मच चुकी है। पार्टी के लिए फण्ड इकट्ठा करने के लिए हसन टिकट चाहने वालों को 25 हजार एंट्री फीस चार्ज कर रहे हैं। खबर है कि इसके बावजूद उनके पार्टी दफ्तर में एमएलए बनने की चाह रखने वालों का तांता लगा हुआ है।

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