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शिक्षा मंत्री निशंक, फैसले मोदी के

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बनाया गया था लेकिन पूरे विदेश का भ्रमण प्रधानमंत्री स्वयं करते रहे। विदेश नीति के ज्यादातर फैसले उनके स्तर पर लिए जाने की खबरें तब आम सुनी-कही जाती थी। सुषमा स्वराज ऐसी विदेश मंत्री थी जिन्होंने सबसे कम विदेश यात्राएं की। यहां तक पड़ोसी मुल्कों के लिए ‘नेबरहुड फस्र्ट’ पाॅलिसी भी मोदी के नाम ही रही। उनके गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह को कई बार मीडिया के जरिए अपने मंत्रालय से संबंधित मामलों पर पीएम के फैसलों की जानकारी मिलती थी। 2016 में राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि नागा समस्या को सुलझाने के लिए हुए शांति समझौते की जानकारी तत्कालीन गृहमंत्री को बजरिए मीडिया से ही पता चली थी। ठीक इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने बगैर प्रक्रिया का पालन किए राफेल विमान सौदे के लिए यूपीए काल में फाइनल की गई डील को बदल डाला था। उन दिनों बड़ी चर्चा थी कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर तक को इस विषय में विश्वास में नहीं लिया गया था। अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को लेकर भी दिल्ली के सत्ता गलियारों में ऐसी ही खबरें चल रही हैं। कहा जा रहा है कि निशंक कोरोना महामारी को देखते हुए मार्च महीने में ही 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाएं रद्द करने जा रहे थे, लेकिन तब तक पीएम विद्यार्थियों संग ‘मन की बात’ करने का मन बना चुके थे। बेचारे निशंक इसके चलते कोई फैसला न ले सके। और जब फैसला लिया भी तो सारा क्रेडिट पीएम के खाते में चला गया, क्योंकि बोर्ड परीक्षाएं हों या न हों जैसे मुद्दे पर भी पीएम ने अफसरों संग पहले सलाह-मशविरा किया फिर निर्णय लिया। यानी मंत्री भले ही निशंक हों, शिक्षा मंत्रालय मंे भी सभी फैसले पीएम स्तर से ही लिए जाते हैं। अब बेचारे निशंक करें तो क्या करें। खबर है कि उन्हें आशंका है कि कहीं पीएम साहब कविता-कहानी भी लिखना शुरू न कर दें। शिक्षा मंत्री के पास तब करने को कुछ बचेगा नहीं।

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