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सुप्रीम कोर्ट बार एसोशिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे का अध्यक्ष काल इस वर्ष दिसंबर तक है। दवे ने मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर कहा है कि वे दिसंबर तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। उनका यह पत्र मीडिया की सुर्खियां भले ही न बटोर पाया हो, भले ही मीडिया चैनलों ने सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या गुत्थी के चलते दुष्यंत दवे के इस पत्र समेत सारी जनसरोकारी खबरों से किनारा कर लिया हो, वकीलों के बीच इस पत्र ने गर्मा-गर्म बहस को जन्म दिया है।

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दरअसल 2 सितंबर को रिटायर हुए सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्रा के वर्चुअल फेयरवेल कार्यक्रम में दुष्यंत दवे को आमंत्रित तो किया गया लेकिन उनका माइक (आडियो) एवं वीडिया ऑफ रहा। दवे का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने ऐसा जानबूझ कर किया क्योंकि उन्हें भय था कि कहीं दवे जस्टिस अरुण मिश्रा को आलोचना न कर दें। कोर्ट की अवमानना मामले में प्रशांत भूषण के वकील रहे दवे ने इस पर अपना ऐतराज दर्ज कराते हुए मुख्य न्यायाधीश को यहां तक लिख डाला है कि ‘सुप्रीम कोर्ट का स्तर अब इतना गिर गया है कि जज बार से डरने लगे हैं।’ वकीनों के बीच अब चर्चा इस बात को लेकर चल रही है कि मुख्य न्यायाधीश इस पर कैसे रियेक्ट करेंगे। दुष्यंत दवे ने अपने पत्र में यह भी कह डाला है कि ‘स्मरण रहे जज आते रहते हैं,ं जाते रहते हैं लेकिन बार स्थाई है और सुप्रीम कोर्ट की असली ताकत है।’

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